भाईयोंहम कौन हैं.हमारी क्या पहचान है.न हम शुद्ध लिखते हैं,न हम शुद्ध बोलते हैं. भाषा का सरलीकरण तो समझ मॆं आता हैं परन्तु हिन्गलिश क्या है? क्या हम भाषाई आत्महत्या कर रहे हैं?
इन्ग्लिश सीखना क्या व्यापार के लिये जरुरी है?चीनियॊं ने तो नहीं सीखी फिर भी हमसे दस (और शायद १०० गुणा) व्यापार करतें हैं.उनके यहाँ हमारे मुकाबले १०० गुणा विदेशी निवेश भी है.
ज्ञान क्या होता है,पापा? मेरे पुत्र ने पूछा."जिसे महसूस कर सकें,जिसे प्रतिदिन जी सकें और जो हमारी आत्मा का हिस्सा बन जाये ताकि उसे हम शेष उम्र जी सकें".
य़दि ज्ञान मातृभाषा में नहीं हैं तो क्या हम ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था बन सकतें हैं?य़ह मेरा प्रथम प्रयास है हिन्दी सीखने का सच्चे दिल से.इसलिये ताकि मेरा बेटा हिन्दी सीख सके.रामायण पढ़ सके.मैने बाहर आकर अपनी माता को पहचाना.आगे कोशिश यह है कि मेरा बेटा इतनी देर न करे जितनी मैने करदी.शेष फिर जब मैं थोड़ी और हिन्दी सीख लूँ.अमिताभ
Sunday, June 17, 2007
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