One Fine Day,
All of Us
Will Get Busy
With Our Lives,
Long Working Hours,
No More Classes, Lectures, Friends & SMS,
Won’t Have Time
For Ourselves,
At Such A Day
You’ll Look
Outside Your Window
And See
The Good Old Memories
Flash You By
And You’ll
Get A Smile
With A Tear
In Your Eyes
And You’ll
Turn Back to
Your Work
Thinking
I wish
I Could
Go back...
This Message is
To all My friends
Who Helped To Create
Such A Wonderful Memories.
Courtesy - Rajeev Saxena
Tuesday, July 17, 2007
Monday, July 16, 2007
Busy Or Lazy - Part 2
dosti mein har waqt ajmaish hoti hai
doston se milney kee khwahish hoti hai
doston ko kabhi yaad nahin karte
kyounki yaad wo aatey hain
jinhein bhoolne kee gunjaish hoti hai
Courtesy - Indranil Ganguly, friend of "lloyd"
doston se milney kee khwahish hoti hai
doston ko kabhi yaad nahin karte
kyounki yaad wo aatey hain
jinhein bhoolne kee gunjaish hoti hai
Courtesy - Indranil Ganguly, friend of "lloyd"
Busy Or Lazy
Hume pata hain aap bahut
busy hain,
zyada nahi par thode se
lazy hain,
mana ke milna bahut hi
mushkil hain,
par mail karna to bahut
easy hain...!!!!!
Courtesy - Furkan Ali Khatri
busy hain,
zyada nahi par thode se
lazy hain,
mana ke milna bahut hi
mushkil hain,
par mail karna to bahut
easy hain...!!!!!
Courtesy - Furkan Ali Khatri
Sunday, July 15, 2007
तुम से अच्छा कौन हैं
आंख है भरी भरी और तुम, मुस्कुराने की बात करते हो
आंख है भरी भरी और तुम, मुस्कुराने की बात करते हो
जिंदगी खफा खफा और तुम, दिल लगाने की बात करते हो
आंख है भरी भरी और तुम, मुस्कुराने की बात करते हो
मेरे हालात ऐसे हैं, कि मैं कुछ कर नहीं सकती
मेरे हालात ऐसे हैं, कि मैं कुछ कर नहीं सकती
तड़पता है यह दिल लेकिन, मैं आहें भर नहीं सकती
ज़ख्म है हरा हरा और तुम, चोट खाने की बात करते हो
जिन्दगी खफा खफा और तुम, दिल लगाने की बात करते हो
आंख है भरी भरी और तुम, मुस्कुराने की बात करते हो
ज़माने में भला कैसे, मोहब्बत लोग करते हैं
ज़माने में भला कैसे, मोहब्बत लोग करते हैं
वफ़ा के नाम की अब तो, शिक़ायत लोग करते हैं
आग है बुझी बुझी और तुम, लौ जलाने की बात करते हो
जिन्दगी खफा खफा और तुम, दिल लगाने की बात करते हो
आंख है भरी भरी और तुम, मुस्कुराने की बात करते हो
कभी जो ख़्वाब देखा तो, मिली परछाईयाँ मुझको
कभी जो ख़्वाब देखा तो, मिली परछाईयाँ मुझको
मुझे महफिल की ख्वाहिश थी, मिली तन्हाईयाँ मुझको
हर तरफ धुँआ धुँआ और तुम, आशियाने की बात करते हो
जिन्दगी खफा खफा और तुम, दिल लगाने की बात करते हो
आंख है भरी भरी और तुम, मुस्कुराने की बात करते हो
आंख है भरी भरी और तुम, मुस्कुराने की बात करते हो
जिंदगी खफा खफा और तुम, दिल लगाने की बात करते हो
आंख है भरी भरी और तुम, मुस्कुराने की बात करते हो
मेरे हालात ऐसे हैं, कि मैं कुछ कर नहीं सकती
मेरे हालात ऐसे हैं, कि मैं कुछ कर नहीं सकती
तड़पता है यह दिल लेकिन, मैं आहें भर नहीं सकती
ज़ख्म है हरा हरा और तुम, चोट खाने की बात करते हो
जिन्दगी खफा खफा और तुम, दिल लगाने की बात करते हो
आंख है भरी भरी और तुम, मुस्कुराने की बात करते हो
ज़माने में भला कैसे, मोहब्बत लोग करते हैं
ज़माने में भला कैसे, मोहब्बत लोग करते हैं
वफ़ा के नाम की अब तो, शिक़ायत लोग करते हैं
आग है बुझी बुझी और तुम, लौ जलाने की बात करते हो
जिन्दगी खफा खफा और तुम, दिल लगाने की बात करते हो
आंख है भरी भरी और तुम, मुस्कुराने की बात करते हो
कभी जो ख़्वाब देखा तो, मिली परछाईयाँ मुझको
कभी जो ख़्वाब देखा तो, मिली परछाईयाँ मुझको
मुझे महफिल की ख्वाहिश थी, मिली तन्हाईयाँ मुझको
हर तरफ धुँआ धुँआ और तुम, आशियाने की बात करते हो
जिन्दगी खफा खफा और तुम, दिल लगाने की बात करते हो
आंख है भरी भरी और तुम, मुस्कुराने की बात करते हो
गर्ल फ्रेंड (१९६०) - आलोक जैन
किशोर:
कश्ती का खामोश सफ़र है, शाम भी है तनहाई भी
दूर किनारे पर बजती है लहरों की शेहनाई भी
आज मुझे कुछ कहना है, आज मुझे कुछ कहना है
लेकिन ये शर्मीली निगाहें मुझको इजाज़त दें तो कहूं
खुद मेरी बेताब उमंगें थोड़ी फुरसत दें तो कहूँ
आज मुझे कुछ कहना है, आज मुझे कुछ कहना है
सुधा:
जो कुछ तुमको कहना है, वो मेरे ही दिल की बात ना हो
जो है मेरे ख्वाबों की मंज़िल, उस मंज़िल की बात ना हो
किशोर:
कहते हूए डर सा लगता है, कह कर बात ना खो बैठूं
ये जो ज़रा सा साथ सा मिला है, ये भी साथ ना खो बैठूं
सुधा:
कब से तुम्हारे रास्ते में, मैं फूल बिछाए बैठी हूँ
कहना है जो कह भी चुको, मैं आस लगाए बैठी हूँ
किशोर:
दिल ने दिल की बात समझ ली, अब मुँह से क्या कहना है
आज नहीं तो कल कह देंगे, अब तो साथ ही रहना है
सुधा:
कह भी चुको जो कहना है
किशोर:
छोडो, अब क्या कहना है ।
कश्ती का खामोश सफ़र है, शाम भी है तनहाई भी
दूर किनारे पर बजती है लहरों की शेहनाई भी
आज मुझे कुछ कहना है, आज मुझे कुछ कहना है
लेकिन ये शर्मीली निगाहें मुझको इजाज़त दें तो कहूं
खुद मेरी बेताब उमंगें थोड़ी फुरसत दें तो कहूँ
आज मुझे कुछ कहना है, आज मुझे कुछ कहना है
सुधा:
जो कुछ तुमको कहना है, वो मेरे ही दिल की बात ना हो
जो है मेरे ख्वाबों की मंज़िल, उस मंज़िल की बात ना हो
किशोर:
कहते हूए डर सा लगता है, कह कर बात ना खो बैठूं
ये जो ज़रा सा साथ सा मिला है, ये भी साथ ना खो बैठूं
सुधा:
कब से तुम्हारे रास्ते में, मैं फूल बिछाए बैठी हूँ
कहना है जो कह भी चुको, मैं आस लगाए बैठी हूँ
किशोर:
दिल ने दिल की बात समझ ली, अब मुँह से क्या कहना है
आज नहीं तो कल कह देंगे, अब तो साथ ही रहना है
सुधा:
कह भी चुको जो कहना है
किशोर:
छोडो, अब क्या कहना है ।
Saturday, July 14, 2007
जयपुर की गर्मी के
कितना अच्छा लगता है
जयपुर की सड़कों पर
जाना
रोज टहलने
गरमी के मौसम में तड़के
थोड़े से अंधियारे में
सड़क किनारे
बिछी खाट पर
सोते हैं जन
रंग बिरंगी कथरी ओढ़े
टुकड़ों-टुकड़ों गुथी कला के
सहज फलक से
धीमे-धीमे बहती है पुरवा
अमलतास के
स्वर्ण घुन्घुरुओं को झनकाती
खिले हुए
गुलमोहरों से ढकी
हलचल रहित स्तब्ध वधूटी जैसी
निर्मल सड़कें
शांत !!
घने यातायातों से दूर
ऊँट गाड़ी का सहज गुजरना
धीरे-धीरे
झरती हुई नीम के नीचे
कितना अच्छा लगता है
सूरज के आने से पहले
घने शहर में
कोलाहल भर जाने से पहले।
सोजन्य से - आलोक जैन के "दोस्त" की ओर से
जयपुर की सड़कों पर
जाना
रोज टहलने
गरमी के मौसम में तड़के
थोड़े से अंधियारे में
सड़क किनारे
बिछी खाट पर
सोते हैं जन
रंग बिरंगी कथरी ओढ़े
टुकड़ों-टुकड़ों गुथी कला के
सहज फलक से
धीमे-धीमे बहती है पुरवा
अमलतास के
स्वर्ण घुन्घुरुओं को झनकाती
खिले हुए
गुलमोहरों से ढकी
हलचल रहित स्तब्ध वधूटी जैसी
निर्मल सड़कें
शांत !!
घने यातायातों से दूर
ऊँट गाड़ी का सहज गुजरना
धीरे-धीरे
झरती हुई नीम के नीचे
कितना अच्छा लगता है
सूरज के आने से पहले
घने शहर में
कोलाहल भर जाने से पहले।
सोजन्य से - आलोक जैन के "दोस्त" की ओर से
Sunday, July 8, 2007
बारिश
बारिश में टपकती बूंदें
धरती को ललचाती बूंदें
अब थोडी थम गयी हैं
रस्ते के ख्ड्डों में जम गयी हैं
आसमान ने जब धरती को देखा होगा
उसके दिल में इसे छूने का अरमान जागा होगा
मेघ मल्हार के राग गाती बूंदें
अपने प्रियतम को आगोश में लेटी बूंदें
इन बूंदों को देख कर मन रोमानी हो जाता है
इसे धरती में युं मिलते देख, अपना प्रियतम याद आता है
जाने कहां है, और क्या कर रहा है
शायद मेरी तरह बेठ कर, याद मुझे कर रहा है
ना किया हो, इसकी कोई वजह नहीं
उसकी याद ही है बारिश की वजह भी
सोजन्य से - आलोक जैन के अच्छे मित्र
धरती को ललचाती बूंदें
अब थोडी थम गयी हैं
रस्ते के ख्ड्डों में जम गयी हैं
आसमान ने जब धरती को देखा होगा
उसके दिल में इसे छूने का अरमान जागा होगा
मेघ मल्हार के राग गाती बूंदें
अपने प्रियतम को आगोश में लेटी बूंदें
इन बूंदों को देख कर मन रोमानी हो जाता है
इसे धरती में युं मिलते देख, अपना प्रियतम याद आता है
जाने कहां है, और क्या कर रहा है
शायद मेरी तरह बेठ कर, याद मुझे कर रहा है
ना किया हो, इसकी कोई वजह नहीं
उसकी याद ही है बारिश की वजह भी
सोजन्य से - आलोक जैन के अच्छे मित्र
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