भाईयों,
हम कौन हैं? हमारी क्या पहचान है? ना हम शुद्ध लिखते हैं, ना हम शुद्ध बोलते हैं। भाषा का सरलीकरण तो समझ में आता है, परन्तु हिंग्लिश क्या है? क्या हम भाषाई आत्महत्या कर रहें हैं?
इंग्लिश सीखना क्या व्यापर के लिए जरुरी है? चीनियों ने तो नही सीखी, फिर भी हमसे दस (और शायाद सो) गुणा व्यापर करते हैं। उनके यहाँ हमारे मुक़ाबले सो गुणा विदेशी निवेश भी है।
ज्ञान क्या होता है, पापा? यह मेरे पुत्र ने पुछा। "जिसे महसूस कर सके, जिसे प्रतिदिन जी सकें और जो हमारी आत्मा का हिस्सा बन जाये ताकी उसे हम शेष उम्र जी सकें।"
यदि ज्ञान मातृभाषा में नहीं है, तो क्या हम ज्ञान आधारित अर्थवय्वस्था बना सकते हैं? यह मेरा प्रथम प्रयास है हिंदी सीखने का सच्चे दिल से। इसलिये ताकी मेरा बेटा हिंदी सीख सके, रामायण पढ़ सके। मैंने बाहर आकर अपनी माता को पहचाना। आगे कोशिश यह है की मेरा बेटा इतनी देर ना करे जितनी मैंने करदी।
शेष फिर जब मैं थोड़ी हिंदी और सीख लूँ।
अमिताभ चौधरी
Monday, July 2, 2007
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1 comment:
सही है. सीखना ताउम्र चलता है. ज्ञान की सीमा नही होती.
मेरे ज्ञान में वृद्धि करें - जस्ट क्यूरियस - MBM 1983 PET 1 का क्या अर्थ है?
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