सेहत का राज !
प्रेमराज के हाथ की दाल !!
बहुत सीक्रेट है बात !
बनाता था खूब तरहके के साथ !!
डालता था खूब मिर्ची, धनिया ओर घी !
ओ ये छड यार, होर दसन में की (लिटिल पंजाबी) !!
अफ़सोस खुद ही खा जाता था सारी !
बस कभी कभी ही जगती थी किस्मत हमारी !!
लोयड यार बीस साल बाद भी तुझे समझ नहीं आई !
सेहत क्या ख़ाक बनेगी, अगर प्रेमराज के हाथ की दाल ही नहीं खायी !!
बलविंदर सिंह "बल्ली"
Wednesday, July 4, 2007
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2 comments:
arre llyod bhai
yeh maine nahin apne balli bahi ne premraj ki tareef main likhi thi
kripya theek kar dena
thanks a lot for giving due credit to balli
regards
aalok
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